सिनेमा एवं मनोरंजन >> फिल्मी जगत में अर्धशती का रोमांच फिल्मी जगत में अर्धशती का रोमांचरामकृष्ण
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फिल्मों के प्रचलित मिथों पर महत्वपूर्ण तरीके का प्रथम साहित्यिक अन्तःसम्बन्धात्मक अवलोकन
Film Jagat me Ardhashati ka Romance - A Hindi Book by - Ramkrishna फिल्म जगत् में अर्धशती का रोमांस - रामकृष्ण
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
प्रस्तुत कृति आत्मकथा, संस्मरण, रिपोर्ताज आदि का संगठित रूप है जिसमें एक विशिष्ट गद्य शैली अपनी सम्पूर्ण पठनीयता के साथ स्वतः निर्मित हो जाती है। एक विधा से दूसरी विधा में गमन एक प्रयोगधर्मिता है, जिसमें हमारे समय के हिन्दी फिल्म संसार और साहित्य की अन्तरंग छुअन है। रोचकता, साफगोई और निर्भीकतापूर्वक फिल्मों की आत्यन्तिकता, कलात्मकता तथा धुर व्यवसायिकता की पड़ताल की गई है। साहित्य, फिल्म, समाजीकरण तथा आर्थिकी के अन्तर सम्बन्धों पर गहरी टिप्पड़ियाँ हैं।
साहित्य के शिखर पुरुषों के सिनेमाई सम्बन्धों के बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते। इस पुस्तक में उनके क्लासिक सम्बन्धों को उबारा गया है। हिन्दी साहित्य में फिल्मी जीवन विषय को गम्भीरता से न लेने की अकारण परम्परा-सी बन गई है, जब कि उसके दुष्परिणाम ये हुए है कि हिन्दी सिनेमा को साहित्य के मेधावी जनों से वंचित होना पड़ा है। इस वंचना के तनाव को अत्यन्त सूक्ष्मता, भाषाई कारीगरी तथा दृष्टिसम्पन्नता से समझने का गहरा प्रयत्न इस कृति में है। फिल्मों के प्रचलित मिथों पर महत्वपूर्ण तरीके का प्रथम साहित्यिक अन्तःसम्बन्धात्मक अवलोकन है जिसमें संस्मरणों की आत्मीय प्रतिध्वनियाँ पुनः पुनः उभरती हैं। आशा है पाठकों को यह कृति बहुत रोचक लगेगी; साथ ही वे हिन्दी फिल्म और साहित्य सम्बन्धी जानकारी पा सकेंगे।
साहित्य के शिखर पुरुषों के सिनेमाई सम्बन्धों के बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते। इस पुस्तक में उनके क्लासिक सम्बन्धों को उबारा गया है। हिन्दी साहित्य में फिल्मी जीवन विषय को गम्भीरता से न लेने की अकारण परम्परा-सी बन गई है, जब कि उसके दुष्परिणाम ये हुए है कि हिन्दी सिनेमा को साहित्य के मेधावी जनों से वंचित होना पड़ा है। इस वंचना के तनाव को अत्यन्त सूक्ष्मता, भाषाई कारीगरी तथा दृष्टिसम्पन्नता से समझने का गहरा प्रयत्न इस कृति में है। फिल्मों के प्रचलित मिथों पर महत्वपूर्ण तरीके का प्रथम साहित्यिक अन्तःसम्बन्धात्मक अवलोकन है जिसमें संस्मरणों की आत्मीय प्रतिध्वनियाँ पुनः पुनः उभरती हैं। आशा है पाठकों को यह कृति बहुत रोचक लगेगी; साथ ही वे हिन्दी फिल्म और साहित्य सम्बन्धी जानकारी पा सकेंगे।
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